जैसा कि सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के प्रकारों को हम रंगो के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं। व्हाइट हैट और ब्लैक हैट सर्च इंजन ऑप्टिमाइज़ेशन के दृष्टिकोण और दीर्घकालिक परिणामों में भिन्नताएँ हैं। क्योंकि किसी भी वेबसाइट या कम्पनी को अपनी स्थिरता कायम करने के लिए मार्किट में लम्बे समय तक टिका रहना पड़ेगा। इसके लिए वेबसाइट डेवलपर ब्लैक हैट सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन से बचेंगे। वे इसे अपनी साइट के लिए इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं करना चाहेंगे।
यहां आपको इसके बारे में पूर्ण अवलोकन मिलेगा......
White Hat SEO
व्हाइट हैट एसईओ एक वेबसाइट की खोज इंजन रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिए तकनीकों और तरीकों का उपयोग करता है जो सर्च इंजन के (मुख्य रूप से Google) दिशानिर्देशों के पालन करते हैं। और उसे अपने विवेक से व गूगल के अल्गोरोथेम को समझते हुए अपनी साइट का बेहतर एसईओ करते हैं। यानि कि, आप गूगल के मानदंडों के अनुसार अपना काम करते हैं। यह व्हाइट हैट एसईओ के अंतर्गत आता है।
Wholesomeness Level
इसका लेवल बहुत ही निम्न पैमाने पर है। क्योंकि गूगल के अल्गोरिथम को समझना थोड़ा मुश्किल काम है। अतः जानकारी काम होने कि वजह से भी कुछ डेवलपर इसका सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं।
तकनीक
कुछ वाइट हैट एसईओ तकनीकों में शामिल हैं: उच्च गुणवत्ता वाला कंटेंट, वेबसाइट HTML अनुकूलन और पुनर्गठन, लिंक अधिग्रहण अभियान जो उच्च गुणवत्ता की सामग्री और मैनुअल अनुसंधान और आउटरीच द्वारा समर्थित हैं।
What to Expect
Steady, gradual, लेकिन रैंकिंग में स्थायी वृद्धि।
Gray Hat SEO
ग्रे हैट एसईओ भी एक वेबसाइट की खोज इंजन रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिए तकनीकों और तरीकों का उपयोग करता है। लेकिन इसके नियम सर्च इंजन की पालिसी के खिलाफ हैं। इसलिए गूगल सर्च इंजन ने ग्रे हैट एसईओ के तकनीकों और तरीकों को बैन कर दिया है।
Wholesomeness Level
यह आपको हर वेबसाइट में मिल जायेगा। कुछ लोग अनजाने में भी इसका इस्तेमाल करते हैं। जैसा कि मैंने ऊपर पहले ही बता दिया है।
Techniques
कुछ ग्रे हैट एसईओ तकनीकों में शामिल हैं: बड़ी मात्रा में खोजशब्दों को लक्षित करने वाली large variety of keywords, लिंक अभियान जो कुछ भुगतान किए गए (लेकिन अभी भी प्रासंगिक) लिंक का उपयोग कर सकते हैं, और long-tail keywords की रैंकिंग की संभावना बढ़ाने के लिए निर्देशिका जैसे auto-generating pages का निर्माण करते हैं।
What to Expect
इसका परिणाम वाइट हैट एसईओ का उपयोग करने की तुलना में अधिक तेज़ी से प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन सर्च इंजन के रोब्बोट आपकी वेबसाइट या लिंक्स को क्रोवल करते रहते हैं। जैसे ही उन्हें इस बात का पता चलता है, तो वे आपको सर्च इंजन से बाहर भी कर सकते हैं। जिसका आपको आगामी दिनों बे भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
Black Hat SEO
ब्लैक हैट एसईओ एक वेबसाइट के लिए उच्च रैंकिंग प्राप्त करने के लिए खोज इंजन एल्गोरिदम में कमजोरियों का शोषण करता है। इस तरह की तकनीक और विधियां खोज इंजन दिशानिर्देशों के साथ सीधे संघर्ष में रहती हैं। लेकिन देखा जाये तो गूगल बहुत ही होशियार है। फिर भी कहीं न कहीं कमी रह ही जाती है। जिसका ब्लोग्गेर्स या वेब डेवलपर फायदा उठा लेते हैं।
Wholesomeness Level
भले ही गूगल कि कुछ कमजोरियां रही हों। लेकिन वे बहुत ही कम हैं। क्योंकि गूगल सर्च इंजन कि कमजोरी को पकड़ने के लिए आपको उसके अल्गोरोथेम के बारे में सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। अतः जिन्हे इस बारे में जानकारी होती है, वे इसका फायदा उठाते हैं। लेकिन इसका स्तर बहुत ही कम है। यानी इसका इस्तेमाल बहुत ही काम किया गया है।
Techniques
कुछ ऐसी तकनीक हैं, जो ब्लैक हैट एसईओ तकनीकों में शामिल हैं: link spam, keyword stuffing, cloaking, hidden text, and hidden links.
What to Expect
इस तकनीक यानी ब्लैक हैट एसईओ का इस्तेमाल करके आप अपनी वेबसाइट कि रैंकिंग में बेहतर इजाफा पा सकते हैं। जो कि आपकी कल्पना से भी ज्यादा हो सकता है। और यह आप बहुत ही कम समय में कर सकते हैं।
हालांकि, ज्यादातर सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन कंपनियों का काम gray area में संचालित होता है, जिसे ग्रे सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन कहा जाता है। परिणाम प्रदान करने के लिए ग्राहकों से डिज़ाइन या दबाव द्वारा, कई खोज इंजन अनुकूलन कंपनियां तकनीक का उपयोग करके ग्राहकों के लिए समाधान और परिणाम देने की कोशिश करती हैं, जो कि ब्लैक हैट एसईओकि सीमा को पार नहीं करते हैं। लेकिन माना जाये तो व्हाइट हैट एसईओ ही आपकी साइट के लिए बेहतर है। अगर आप लम्बे समय तक इंटरनेट मार्केटिंग में टिके रहना चाहते हैं।
ग्रे हैट एसईओ कि पहचान काम लागत से आंकी जा सकती है। जैसे कि, कुछ कंपनियां सही रास्ते को छोड़कर संधिग्द तकनीकों के द्वारा आपको काम लागत में एसईओ करके देंगीं।
लेकिन मैं यह भी कहूँगी, आप कैसे भी अपनी वेबसाइट या ब्लॉग का सो कर रहे हैं। इसमें आप अपने विवेक से काम लेवें। क्योंकि यह सब कुछ अपने हिसाब से अनुकूलित बनाना चाहिए। लेकिन आपको इसके बारे में पता जरूर होना चाहिए, कि हम कहाँ पर जोखिम उठा रहे हैं। और कहाँ हम लम्बे समय के लिए फायदा उठा रहे हैं।
अगर आपके दिमाग में कोई भी प्रश्न उठ रहा हो, तो कमेंट करके जरूर बताएं। हमें आपकी मदद करने में बेहद ख़ुशी होगी।
(धन्यवाद)
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